कुछ ऐसी परिस्थियाँ जहां मोटिवेशन काम नहीं आती और मोटिवेशन के मापदंड को भी बदलना पड़ता है
परिस्थितियाँ हमारे कार्य करने की छमता के लिए मुख्यतः ज़िम्मेदार होती है | ऐसी ही कुछ परिस्थितियाँ जहां हम अपना आत्मनियंत्रण खो सकते है –
– वर्तमान परिवेश में धन का बड़ा महत्त्व है | यह सच है कि धन ही सब कुछ नहीं है परन्तु धन के अभाव में बहुत कुछ हमारे बस के बाहर हो जाता है और ऐसे समय में हमारा धैर्य टूट जाता है, फिर कोई भी मोटिवेशन काम नहीं आता|
– जब लोग किसी से बहस करते है तो एक आत्मनियंत्रित व्यक्ति स्वयं को संभाल लेता है लेकिन बहस की बजाय कोई चिढ़ाने पर आ जाये और व्यक्ति की किसी कमज़ोरी पर निशाना बनाने लगे तो कोई भी अपना आत्मनियंत्रण खोकर प्रतिउत्तर देने को मज़बूर हो जाता है | इसलिए कह सकते है कि मज़बूर व्यक्ति के लिए भी मोटिवेशन काम नहीं करता |
-स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओ से पीड़ित व्यक्ति अपनी सहन सीमा तक ही आत्मनियंत्रित (motivated) रह सकता है लेकिन जैसे ही सहनशक्ति समाप्त होती है फिर उसके ऊपर किसी मोटिवेशन का असर नहीं होगा और स्वयं को दर्द मुक्त करने के लिए फिर वह किसी भी तरह के सही/ गलत कदम उठा सकता है |
– प्रेम में पड़े व्यक्ति के लिए भी मोटिवेशन किसी काम का नहीं होता वह किसी भी तरह से अपने प्रेमी को ही सही ठहराने का प्रयास करता रहता है | प्रेमी की प्रत्यक्ष गलती देखकर भी वह अनदेखा कर स्वयं को संकट में डाल लेता है |
दोस्तों मोटिवेट होना और दूसरो को मोटिवेट करने में बड़ा फर्क है | ज्ञान बाँटना आसान है लेकिन हम स्वयं के लिए उपयोग करने में अक्सर बचने की कोशिश करते है | मानव स्वभाव ही ऐसा है इस पर बहस नहीं की जा सकती | मोटिवेशन को एक दवाई मान ले और ज़रूरतमंद को समय मिल जाये तो उसे सेहतमंद कर देगी लेकिन एक ही दवाई सभी तरह के बीमारी में काम नहीं आ सकती ठीक ऐसे ही हर जगह पर मोटिवेशन ही काम नहीं आता, कही-कही पर सामने वाले की गलती को भी सही कहकर उसे मोटिवेट किया जा सकता है शायद इसीलिए मोटिवेशन की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती है| यह व्यक्ति, परिस्थिति और समय के हिसाब से अपना स्वरुप बदलते रहती है |