Maha Shivratri status with Shivratri quotes:
Maha Shivaratri is an annual festival dedicated to the Hindu god Shiva and is important in the Shaivism tradition of Hinduism. Unlike most Hindu festivals, which are celebrated during the day, the Maha Shivaratri is celebrated at night.
Maha Shivratri status video download
“भगवान शिव की भक्ति से नूर मिलता हैं
Jai Mahakal
दिल के धड़कनों को सुरूर मिलता हैं
जो भी आता भोले के द्वार कुछ न कुछ जरूर मिलता है”
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“ना कोई चिंता ना कोई भय, जब साथ में हो डमरू वाला
त्रिशूल धारी त्रिनेत्र, नीलकंठ वाले भोले भंडारी”
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये
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कोई दौलत का दीवाना, कोई शोहरत का दीवाना,
शीशे सा मेरा दिल, मैं तो सिर्फ महादेव का दीवाना।
-Jai Bholenath
Shiv Chalisa Lyrics In Hindi
**शिव चालीसा**
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
Shiv Chalisa
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥