Best poetry collection in Hindi and Urdu-
गुलजार साहब नौ भाई-बहन में चौथे नंबर पर थे. उनका जन्म पाकिस्तान के दीना गाँव में 18 अगस्त 1936 में हुआ.
माँ का उनके बचपन में ही देहांत हो गया था और साथ उन्हें अपने पिता का भी प्यार नहीं मिला।
गुलज़ार साहब ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया, शुरू में जब वो मुंबई आये तो उन्होंने वर्ली के एक गेरेज में वे बतौर मेकेनिक काम किया।और साथ ही कविता लिखने के शौक़ के कारण अपने खाली समय में कविताये लिखते रहे।
धीरे-धीरे फ़िल्म इंडस्ट्री में उनकी पकड़ बनने लगी और वे बॉलीवुड सिनेमा से जुड़ गए।
1963 आयी फिल्म बन्दिनी से फ़िल्मी जगत की दुनिया में प्रवेश किया जिसके निर्देशक, निर्माता बिमल राय थे
और इसी फिल्म के साथ उन्होंने अपने गाने लिखने की शुरुआत की |
गुलज़ार जी भाषा उर्दू तथा पंजाबी हैं परन्तु उन्होंने ब्रज भाषा, खङी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी अपनी रचनाये लिखी जो आज भी काफी प्रचलित हैं.
शाम से आँख में नमी सी है,
-Gulzar
आज फिर आप की कमी सी है.
दफ़्न कर दो हमें के साँस भी मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को
–Gulzar
खुद से पहले सुला देता हूँ
मगर रोज़ सुबह ये
मुझसे पहले जाग जाती है
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
-Gulzar
रुक कर अपना ही इंतज़ार किया
कुछ अलग करना हो तो
-Gulzar
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
-Gulzar
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी,
-Gulzar
नफरत भी तुम्हारी थी
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ
किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था
वो अदालत भी तुम्हारी थी.
तन्हाई अच्छी लगती है
-Gulzar
सवाल तो बहुत करती पर,
जवाब के लिए
ज़िद नहीं करती..
खता उनकी भी नहीं यारो
-Gulzar
वो भी क्या करते,
बहुत चाहने वाले थे
किस-किस से वफ़ा करते
Best poetry collection in Hindi and Urdu By Gulzar Sahab
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
-Gulzar
तीनों थे हम वो भी थे
और मैं भी था तन्हाई भी
हम अपनों से परखे गए हैं,
-Gulzar
कुछ गैरों की तरह
हर कोई बदलता ही गया
हमें शहरों की तरह…
तमाशा करती है मेरी जिंदगी
-Gulzar
गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं !
Best poetry collection in Hindi and Urdu
आज मैंने खुद से एक वादा किया है,
-Gulzar
माफ़ी मांगूंगा तुझसे तुझे रुसवा किया है
हर मोड़ पर रहूँगा मैं तेरे साथ साथ,
अनजाने में मैंने तुझको बहुत दर्द दिया है।
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
-Gulzar
किसी की आँखों में हमको भी इंतजार दिखे।
तेरे बिना ज़िन्दगी से,
-Gulzar
कोई शिकवा तो नहीं
तेरे बिना पर ज़िन्दगी भी,
लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं
पनाह मिल जाए रूह को
-Gulzar
जिसका हाथ छूकर
उसी हथेली पर
घर बना लो
कुछ भी कायम नहीं है,
–Gulzar
कुछ भी नहीं और जो कायम है
बस एक मैं हूं मैं जो
पल-पल बदलता रहता हूं
थोड़ा सुकून भी ढूंढिए जनाब
-Gulzar
यह जरूरतें तो कभी खत्म नहीं होती
बचपन में भरी दुपहरी में
-Gulzar
नाप आते थे पूरा मोहल्ला
जबसे डिग्रियां समझ में
आईं पांव जलने लगे
एक परवाह ही बताती है,
-Gulzar
कि ख्याल कितना है
वरना कोई
तराजू नहीं होता रिश्तो में
दौलत नहीं, शोहरत नहीं,
-Gulzar
न वाह-वाह चाहिए
“कैसे हो?”
बस दो लफ्जों की
परवाह चाहिए
Best poetry collection in Hindi and Urdu-Gulzar ki shayari
थम के रह जाती है जिंदगी,
-Gulzar
जब जमके बरसती हैं पुरानी यादें
मुझे ऐसे मरना है जैसे,
लिखते लिखते स्याही खत्म हो जाए
बदल जाओ वक़्त के साथ,
-Gulzar
या वक़्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मत कोसो,
हर हाल में चलना सीखो.
महफ़िल में गले मिलकर,
-Gulzar
वह धीरे से कह गए
यह दुनिया की रस्म है,
इसे मुहोब्बत मत समझ लेना
तजुर्बा बता रहा हूँ ऐ दोस्त
-Gulzar
दर्द, गम, डर जो भी हो बस तेरे अन्दर है
खुद के बनाए पिंजरे से निकल कर तो देख तू भी एक सिकंदर है.
बहुत मुश्किल से करता हूँ,
-Gulzar
तेरी यादों का कारोबार
मुनाफा कम है,
पर गुज़ारा हो ही जाता है
आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
-Gulzar
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ
पलक से पानी गिरा है,
-Gulzar
तो उसको गिरने दो
कोई पुरानी तमन्ना,
पिंघल रही होगी!
Gulzar Sahab Ki Shayari – Hindi Poetry by Gulzar
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