51 Best Hindi Gazal Quotes Ghazal Life Quotes

51 Best Hindi Gazal Quotes Ghazal Life Quotes

ग़ज़ल उर्दू और हिंदी साहित्य की एक अनमोल धरोहर है, जो प्रेम, वियोग, दैवीय भक्ति और मानवीय भावनाओं के उद्धरणों से सजी हुई है। ये उद्धरण न केवल शब्दों की कला हैं, बल्कि जीवन की गहराइयों को छूने वाले दर्पण भी। मिर्ज़ा ग़ालिब का “हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले” या फैज़ अहमद फैज़ का “गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौबहार चले” जैसे उद्धरण आज भी दिलों को झंकृत करते हैं।

खुशनसीब कोई नहीं है सब ज़ख्म खाये है।
कोई लड़कर मर गया किसी की जंगजारी है ।।

खबरें ही यहाँ वारदातों को देती है अंजाम।
पढ़ना सुनना बंद हो, खबर जनहित में जारी है।।

नही आ सकती किसी में हिम्मत, चंद सिक्को से
मत तोलो दोस्तों अपनी किस्मत, चंद सिक्को से

-विनोद शिखर

ग़ज़ल की जड़ें सातवीं शताब्दी के अरब साहित्य में हैं, जहाँ यह प्रारंभिक कविताओं के रूप में उभरी। तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी में फारसी कवियों रूमी और हाफ़िज़ ने इसे प्रमुखता दी। भारत में दिल्ली सल्तनत, मुग़ल साम्राज्य और दक्कन राज्यों के संरक्षण से यह उर्दू में विकसित हुई। अमीर खुसरो, मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तकी मीर जैसे कवियों ने इसे भारतीय भावनाओं से जोड़ा। उन्नीसवीं शताब्दी तक यह सूफी परंपरा से जुड़कर आध्यात्मिक आयाम ग्रहण कर चुकी थी।

Ghazal caption for Instagram in Hindi

ख़्वाबों ख्यालों में जीना छोड़ा, तैर गये उम्मीदे-सफीना छोड़ा

-विनोद शिखर

रब से बढ़कर हुआ इंसान, जिधर देखो उधर भगवान

किसी से क्या कोई मांगे, जुदा चेहरे है जुदा ईमान

-विनोद शिखर

किस-किस को बताएँगे हम जुदाई का सबब ,
तू मुझसे ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ।

Ghazal on life in Hindi

हम में ही नही थी कोई बात याद तुमको न आ सके
तुमने हमें भुला दिया हम तुमको न भुला सके

-अज्ञात

ग़ज़ल उद्धरण सांस्कृतिक एकता के प्रतीक हैं, जो भाषा, संगीत और इतिहास का संगम रचते हैं। ये प्रेम की गहनता, सामाजिक टिप्पणियों और आत्मचिंतन को व्यक्त करते हैं, जो आधुनिक युग में भी प्रासंगिक हैं। संगीतमय प्रस्तुति से ये भावनाओं को अमर बनाते हैं, साहित्य को जीवंत रखते हैं। आजकल डिजिटल माध्यमों पर ये उद्धरण प्रेरणा स्रोत बने हैं, जो युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। कुल मिलाकर, ग़ज़ल उद्धरण जीवन की सादगी में छिपी जटिलताओं को उजागर कर, साहित्य की आत्मा हैं।

Short Ghazal in Hindi

चाहत से तेरी इंकार नहीं कर सकती
मगर जो हद है वो पार नहीं कर सकती।

-अज्ञात

आज दिल ने कहा रूठ जाऊ
फिर सोचा कि मनाएगा कौन ?

-अज्ञात

आप हमसे क्या खफा होंगे,

हमसे तो खफा सारा ज़माना है

-अज्ञात

और बुरा क्या होगा मेरा, छूटा तेरी गली का फेरा

-विनोद शिखर

एक मै ही तो नही हूँ बेवफा, तुमने भी करके दिखाया कब कहा
साथ रहने की थी ली हमने कसम, आज देखो मै कहां हूँ तुम कहां

-विनोद शिखर

वो सुकून की क्यों परवाह करेगा
जिसे कलह पसंद है, वो कलह करेगा

-विनोद शिखर

Best Hindi Ghazal Quotes For WhatsApp

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

-अज्ञात

तू ही बता ऐ दिल तुझे समझाऊं कैसे
जिसे चाहता है तू उसे पास लाऊं कैसे

-अज्ञात

एक बार ऐसे मिलना है हमें,
कि फिर दूर होने कि वजह न मिले..

-अज्ञात

कभी लौटकर नही आते, ज़िंदगी के पल ये बीते
बचाकर रखिये रिश्ते, आपसे कोई अपना न छूटे
-विनोद शिखर

Sahir Ludhianvi Ki Shayari (साहिर लुधियानवी की शायरी)

ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है, दूसरों की नज़रों से ज़िंदगी न देखें हम।

-साहिर लुधियानवी

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको, आज बे-जान आँखों में क्यों ये आंसू आ गए?

-साहिर लुधियानवी

ग़म और खुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ, वहाँ मैं खींचता फिरा हूँ दिल को।

-साहिर लुधियानवी

Zindgi Ghazal Hindi Quotes

वह अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन,

उसे एक ख़ूबसूरत ख़्वाब समझना भूल जाना अच्छा है।

-साहिर लुधियानवी

तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही

तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ

-साहिर लुधियानवी

देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने करीब से

चेहरें तमाम लगने लगे हैं अजीब से

-साहिर लुधियानवी

कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त

सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया

-साहिर लुधियानवी

कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया

बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया

-साहिर लुधियानवी

“तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँढो,

चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है”

-साहिर लुधियानवी

“जंग तो खुद ही एक मसला है,

जंग क्या मसलों का हल देगी”

-साहिर लुधियानवी

मीर तकी मीर की शायरी

मीर तकी मीर: एक शायर की उदास लेकिन अमर कहानी

मीर तकी मीर, जिन्हें उर्दू शायरी का ‘खुदा-ए-सुखन’ कहा जाता है, का जन्म 1723 में आगरा (तत्कालीन अकबराबाद) के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता मीर मुहम्मद तकी, एक धार्मिक और सूफी प्रवृत्ति के विद्वान थे, लेकिन जब मीर मात्र 11 वर्ष के थे, तो पिता का देहांत हो गया। यह घटना मीर के जीवन का पहला बड़ा आघात थी। अनाथ हो चुके मीर ने अपनी माँ के सहारे दिल्ली की ओर रुख किया, जहाँ मुग़ल साम्राज्य के पतन की आहटें गूँज रही थीं। दिल्ली पहुँचकर उन्होंने दारुल उलूम से शिक्षा ग्रहण की—फारसी, अरबी और उर्दू का गहन ज्ञान अर्जित किया। लेकिन शहर की चकाचौंध ने उन्हें जल्दी ही मोहब्बत के जाल में फँसा लिया।

युवावस्था में मीर की जिंदगी प्रेम की आग में जलने लगी। वे दिल्ली के नवाबों और जमींदारों के दरबारों में शायर बनकर पहुँचे। उनकी ग़ज़लें—प्रेम, वियोग और जीवन की उदासी से भरी—जल्दी ही मशहूर हो गईं। नवाब आसफ उद दौला जैसे संरक्षकों ने उन्हें आर्थिक सहारा दिया, लेकिन मुग़ल दरबार का पतन और नादिर शाह के आक्रमणों ने सब कुछ उजाड़ दिया। 1757 के नादिर शाह के दिल्ली लूटने के बाद मीर की दुनिया बिखर गई। उनकी बेटी की मौत और परिवार की त्रासदी ने उन्हें गहरी निराशा में डुबो दिया। मीर ने अपनी आत्मकथा ‘ज़िक्र-ए-मीर’ में लिखा, “मैंने प्रेम को आग समझा, लेकिन वो तो खाक हो गया।” यह फारसी में लिखी गई किताब 1773 में पूरी हुई और उर्दू साहित्य की पहली आत्मकथा बनी।

1785 में, जब दिल्ली असहनीय हो गई, मीर लखनऊ चले गए, जहाँ अवध के नवाबों ने उन्हें पेंशन दी। लेकिन वहाँ भी सुख नहीं मिला। उम्र के अंतिम दिनों में वे अंधे हो गए, गरीबी और बीमारी ने उन्हें घेर लिया। 20 सितंबर 1810 को लखनऊ में उनका निधन हुआ। मीर ने 13000 से अधिक शेर रचे, जो प्रेम की गहराई, सामाजिक विडंबना और सूफी रंग से सराबोर हैं। उनकी शायरी में दिल्ली की हल्की हवा और लखनऊ की उदासी दोनों झलकती है। मीर की जिंदगी एक त्रासदी की कहानी है—प्रेम में डूबे एक शायर का, जिसने कभी सुख न पाया, लेकिन दुनिया को अमर ग़ज़लें दे गईं। आज भी, जब कोई “पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है” सुनता है, तो मीर की वो उदास मुस्कान याद आ जाती है। उनकी विरासत उर्दू शायरी की नींव है, जो सदियों बाद भी दिलों को छूती है।

“आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम,

अब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये”

-मीर तकी मीर

अर्थ-इश्क़ की शुरुआत में हम आग थे, अब जो हैं ये ख़ाक इंतिहा है

याद उसकी इतनी ख़ूब नहीं ‘मीर’ बाज़ आ,

नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा

-मीर तकी मीर

अर्थ-उसकी याद इतनी अच्छी नहीं ‘मीर’, उसे हर पल याद ना कर, वरना वो दिल से भुलाया नहीं जाएगा

“हमारे आगे तिरा जब किसू ने नाम लिया,

दिल-ए-सितम-ज़दा को हम ने थाम थाम लिया”

-मीर तकी मीर

अर्थ : हमारे आगे तेरा जब किसी ने नाम लिया, हमने चोट खाये दिल को थाम थाम लिया |


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