ख़ुशी कहाँ है?

Where is happiness?

वह पल जब सारी दुनिया हसीन नज़र आये ,सब ओर शांति  एवं  सम्पन्नता  दिखाई  दे ,
भीतर से सिर्फ और  सिर्फ दुआए  ही निकले ,
किसी भी गलती को माफ़ कर देने में हिचकिचाहट न हो,सब कुछ लुटा देने की इच्छा करे |
यदि ख़ुशी के पल में उपरोक्त को आप पाते  है तो आपसे एक प्रश्न करना चाहूँगा कि –

where is happiness
where is happiness

“जब सब कुछ लुटा देने और स्वयं के खो जाने को ही ख़ुशी कहते है,तो फिर सब बटोरकर और भीड़ इकट्ठी  करके कैसे  ख़ुशी मिलेगी ?
वास्तव  में ख़ुशी आंतरिक  प्रक्रिया  है जो अन्दर ही घटती  है |
जैसे- अचानक खज़ाना मिल जाने पर भीतर एक ख़ुशी कि लहर उठती है और उस  खजाने के उपयोग के विषय में सोचते ही  ख़ुशी आधी हो  जाती है,
और इसमें डर समाहित हो जाता है | ऐसे में क्या निम्न  आपको  ख़ुशी देंगे –


१. जहाँ  में सब कुछ पा लेने की सनक
२. उपयोग करने कि चीजों को संग्रहित कर लेने का लालच
३. सोने के लिए एक कमरा ,एक पलंग, एक गद्दे से अधिक की चाह
४. अपनी कही हर बात पर लोगो की सहमती की इच्छा  
खुशी कही और नहीं बल्कि आपके भीतर ही मौजूद है | अपने भीतर झाकिये  और ख़ुशी को महसूस कीजिये | 


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