True fact Poetry
वो चैन से सो रहे है शहर बेचकर,कोई सुहाग बचा रहा जेवर बेचकर,बाप ने उमर गुज़र दी घरोंदा बनाने में, बेटा उसकी सांसे खरीद रहा है घर बेचकर, बर्बाद हो गए कई घर दवा खरीदने में , कुछ लोगो की तिज़ोरी भर गई ज़हर बेचकर !!
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Ek Kavita Corona Ke Nam (Inspiring Hindi Poetry)
गुज़र रही है ज़िन्दगीऐसे मुकाम सेअपने भी दूर हो जाते हैं,ज़रा से ज़ुकाम से ✍️तमाम क़ायनात में“एक क़ातिल बीमारी”की हवा हो गई,वक़्त ने कैसा सितम ढा़या कि“दूरियाँ” ही ”दवा” हो ग ई✍️आज सलामत रहेतो कल की सहर देखेंगेआज पहरे में रहेतो कल का पहर देखेंगें✍️सासों के चलने के लिएकदमों का रुकना ज़रूरी है,घरों मेँ बंद ...
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